Sunday, October 5, 2008

वैद्यनाथ धाम क यात्रा आ सुखद अनुभव

एम्हर बहुत व्यस्त रहलहुं, कारण अखबार क काज बहुत बढ़ि गेल अछि। एही कारण सं पोस्ट नहिं कय सकलहुं। क्षमा प्रार्थी छी।
धर्मपुर आ हमर परिवार क खिस्सा सं अलग एकटा खिस्सा कहैत छी। पछिला मास 25 तारीख कें अखबार क काज सं वैद्यनाथ धाम जयबाक सुअवसर भेटल। मां, पत्नी, छोटकी बेटी आ भातिज सेहो संग रहथि। 40 वर्षक बाद वैद्यनाथ धाम गेल रही। मां आ पत्नी क संग पहिल बेर-खूब उत्साहित छलहुं। भोरे बाबा का दर्शन-पूजा कय मीटिंग में गेलहुं। ओही राति वापस अयबाक छल। मौर्य में जसीडीह सं रिजर्वेशन छल। ट्रेन आयल। सभ गोटा अपन-अपन बर्थ पर जा सूति रहलहुं। बोकारो क बाद निन्न टुटल, तं सूटकेस गायब छल। सबहक कपड़ा, कैमरा क बैग आ पूरा सामान छल। सभ टा उत्साह खत्म भय गेल।
अगिला दिन सांझ में बोकारो सं एक सज्जन, वशिष्ठ जी फोन कयलैन्हि। कहलैन्हि जे हमर सूटकेस हुनकर बस में भेटल अछि। बोकारो सं सूटकेस मंगाओल। खाली हमर कपड़ा, कैमरा क बैग आ हमर अन्य सामान गायब छल। विश्वास नहिं भेल जे एहि घोर कलियुग में सेहो एहन लोक छैक। वशिष्ठ जी कें धन्यवाद देलियैन्हि। संगहि बाबा क दर्शन फेर करबाक संकल्प लेलहुं। देखी कहिया पूरा होइत अछि ई संकल्प।
आइ एतबे। खिस्सा फेर आगू बढ़त।

6 comments:

Gajendra said...

नमस्कार। अहाँक ब्लॉग नीक लागल। एहि ब्लॉग आ स्व. रमानाथ झा जीपर बनाओल साइटक लिस्टिंग हम "विदेह" मे कएने छी। ई लिंक देखल जाओ।http://www.videha.co.in/feedback.htm
संग मे विदेहक मिथिला रत्न http://www.videha.co.in/photo.htm सेहो देखल जाओ।
গজেন্দ্র ঠাকুব

UMESH KUMAR MAHTO "VIYOGI" said...

pher se bad nik lagal bhaiji.

संगीता पुरी said...

नए चिट्ठे के साथ आपका स्वागत है.... हिन्दी चिट्ठाजगत में ....आशा है आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिट्ठा जगत को मजबूती देंगे.....हमारी शुभकामना आपके साथ है।

बाल भवन जबलपुर said...

सुस्वागतम बधाइयां
खुल कर लिखें अच्छा लिखे
सादर
भवदीय
गिरीश बिल्लोरे मुकुल

शोभा said...

बहुत सुन्दर लिखा है। आपका स्वागत है।

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

yatra hamehsa sukhad rahe yahi kamna hai