Thursday, December 6, 2007

मोन पड़लाह नवचंद्र चाचा

आइ हमरा इ पीड़ा भय रहल अछि जे कतय सं शुरू करी. आइ भोरे मोन भेल जे बाबा से खिस्सा शुरू करी, मुदा गाम क इतिहास एखनि अपूर्ण अछि. तखन भेल जे किछु अंट-शंट लिखी. ताबत मोन पड़ल जे नवचंद्र चाचा क चर्चा एखनि तक नहिं भेल अछि. वास्तव में नवचंद्र चाचा हमरा लेल सब किछु छलाह-अभिभावक, संगी, प्रेरणा स्रोत आ पता नहिं की सभ. हुनक व्यवहार आ निश्छलता मोन पड़ल, त अनेरे मूड उखड़ि गेल आ कंप्यूटर बंद कय हुनकर गप्प सभ मोन पाड़य लगलहुं. हमर बच्चा सबहक गाम बला बाबा, पत्नी ले चाचा, पापा ले नवचंद्र, आ हमरा ले एक अद्भुत व्यक्तित्व. मोन पड़ल जे शुभम छोट रहथि. चाचा रांची आयल रहथि. भोरे एकटा खिलौना वाला हाथी लय कय चाचा हुनका संग खेलाइत रहथि. हाथी क नाम नहिं लेबाक रहैन्हि, तं नाम राखि देलखिन्ह मोती प्रसाद. तहिया सं आइ धरि हमर बच्चा सभ हाथी के मोती प्रसाद कहैत छैक. ओही बेर चाचा कहने रहथि- तों भले ही कपड़ा-लत्ता में कंजूसी करिहें, भोजन में कहियो कंजूसी नहिं होयबाक चाही। एहन बढ़िया उदाहरण दय के बुझौलैन्हि, जे आइयो मोन अछि.
एहि सं पहिने शुभम कंप्यूटर पर खिस्सा पढलैन्हि- प्रेरित भेलीह. फेर ओ अपन बाबा के नीचा आनि देखौलैन्हि. पापा सेहो प्रशंसा कयलैन्हि. तखने मोन पड़ला नवचंद्र चाचा. यदि ओ आइ देखतथि, तं की कहितथि, से कल्पना कय अवसाद भेल. अस्तु आइ एतबे. फेर काल्हि किछु घोंटब.

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