Monday, December 31, 2007

बाबा क दुर्गा पोथी में नुका देलियैन्हि भीख क टाका

छह जुलाई 1971 के हमर उपनयन भेल आ सात जुलाई 1971 के बूबू (राजीव, हमर दोसर पित्ती नरनाथ झा, जिनका हम सभ लाल काका कहैत रहियैन्हि आ जिनकर देहांत 1973 में भय गेलैन्हि, क दोसर पुत्र आ संप्रति इलाहाबाद बैंक, पूर्णिया में पदस्थापित) क मूड़न छलैन्हि, कपिलेश्वर स्थान में। सभ गोटा के ओतय जाय लेल लाल काका राज्य ट्रांसपोर्ट क बस ठीक कयने रहथि। भोरे ओ बस आबि नौ नंबर क सामने में लागल। डेरा क सभ लोक चल गेल कपिलेश्वर। बचि गेलहुं हम, बाबा, सुशील पाठक, गौआं काका (जे प्रसिद्ध छथि लंबोदर सं आ असली नाम थिकैन्हि चंद्रकांत मिश्र) आ नोकर सभ। दिन में करीब 11 बजे छोटका कुमार (राजकुमार शुभेश्वर सिंह) उपनयन क हकार पुरबाक लेल अयलाह। ओ हमरा भीख में 101 टाका देलैन्हि। किछु काल क बाद ओ चल गेलाह। तखन हम बाबा के कहलियैन्हि जे इ टाका अहां राखि लियअ। दाइजी देखती तं लय लेतीह। बाबा कहलैन्हि जे कत्तौ राखब ते दाइजी देखिये लेती। हम कहलियैन्हि- एकटा जगह अछि। बाबा हंसैत पुछलैन्हि-कोन। हम कहलियैन्हि- अहां क दुर्गा पोथी। बाबा हंसैत कहलैन्हि- अहांक पितामही के दुर्गा पोथी क काज कखनो नहिं पड़ैत छैन्हि। फेर कहलैन्ह- हम टाका क की करब। हम कहलियैन्हि- एकटा जूता आ एकटा छड़ी कीनब। बाबा कहलैन्हि- तकर चिंता अहां नहिं करू। हम जिद्द करय लगलियैन्हि, तं बाबा कहलैन्हि- ठीक छै, टाका राखि दियौक। हम भीख क टाका ओहि में नुका देलियैक। दुपहरिया में जखन सभ गोटा कपिलेश्वर स्थान सं घूरल, तं बाबा सभके गप्प कहि देलखिन्ह। संगहि इहो कहलखिन्ह- आब राजा सेहो हमर चिंता करय लगलाह। अगिला दिन दुर्गा पोथी देखलहुं, तं ओ टाका नहिं छल। बाबा के पुछलियैन्हि, तं जवाब भेटल- दाइजी देख लेलैन्हि आ लय लेलैन्हि। आब बूझैत छियैक जे हमर बाबा कें वास्तव में टाका कर कोनो काज नहीं रहैन्हि।
रातिम दिन काकाजी (हमर जेठ पित्ती मणिनाथ झा) जूता आनि देलैन्हि। पैर में पैघ छल। कोहुना पहिर कय विध भेल। अगिला दिन सुशील पाठक क संग ओकरा बदलबाक लेल टावर गेलहुं।
आइ बाबा क बरखी छलैन्हि, तें ओ बेशी मोन पड़ैत रहलाह। मोन पड़ल जे एक बेर अस्पताल में भरती बाउ बाबा के देखबा लेल बाबा क संग रिक्शा पर जाइत छलहुं। हम झुकय लगलहुं, तं बाबा टाफी कीन कय देलैन्हि जे इ खयला पर नींद नहिं लागत। तहिया से आइ धरि जखन नींद लगैत अछि, टाफी तं नहिं, पान अवश्य खा लैत छी।
काल्हि कहब चौथा क्लास में आओ पढ़े और सीखें किताब कोना कीनल गेल।

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